अजय कुमार शुक्ल
जन्म : 27 जुलाई 1974; बोहला, सरगुजा ।
शिक्षा : बी. एस. सी. (गणित), एम.एस.सी.; सी.एस., एम. ए.; हिन्दी साहित्य ।
समकालीन हिन्दी कविता में लोकतात्विकता ‘विशय पर शोधरत् ।
सम्प्रति : सहा. प्राध्यापक; हिन्दी, शा. रानी दुर्गावती महाविद्यालय वाड्रफनगर, छ.ग.।
सम्पर्क : तिवारी बिल्डिंग रोड, मिशन चौक, अम्बिकापुर; सरगुजा, छ.ग.
दूरभाष :- 94077-20834, 98935-45938.
छोटी बच्ची हंसती है
छोटी बच्ची
हॅसती है
खिलखिलाकर ...।
नाज नखरों में
पलती
छोटी बच्ची डरती नहीं
हंसती है
बस हंसती रहती है।
घर के सभी छोटे बच्चे
डरते हैं उसके गुस्से से
हंसते-खिलखिलाते हैं
उसकी हंसी से ।
छोटी बच्ची
जब बड़ी हो जाएगी
उसकी बच्ची
जब बड़ी हो जाएगी
उसकी हंसी
उसकी बातें
कोई चुरा तो नहीं लेगा
सहम पड़ता हूं सोचकर
छोटी बच्ची हंसती है
खिलखिलाकर ...।
-: :-
युवा स्त्री की हंसी
बंद खिड़की के पीछे से
आयी युवा स्त्री के
हंसने की तेज आवाज ।
इतनी रात-
कितनी जोरों से वह हंसी
चलते-चलते ठिठक गया मैं
उठ गया एक शांत कुत्ता
हड़बड़ाकर ...।
उसकी अकेली हंसी
हंसते समय-
जाने कैसी दिखती होगी
जाने क्या सोचकर
हंसी इतनी जोर से।
न जाने कौन सी खुशी होगी
कि हंसते समय वह डरी नहीं होगी
शर्मायी नहीं होगी कितने दिनों बाद -
इतनी जोर से वह हंसी होगी।
जन्म : 27 जुलाई 1974; बोहला, सरगुजा ।
शिक्षा : बी. एस. सी. (गणित), एम.एस.सी.; सी.एस., एम. ए.; हिन्दी साहित्य ।
समकालीन हिन्दी कविता में लोकतात्विकता ‘विशय पर शोधरत् ।
सम्प्रति : सहा. प्राध्यापक; हिन्दी, शा. रानी दुर्गावती महाविद्यालय वाड्रफनगर, छ.ग.।
सम्पर्क : तिवारी बिल्डिंग रोड, मिशन चौक, अम्बिकापुर; सरगुजा, छ.ग.
दूरभाष :- 94077-20834, 98935-45938.
छोटी बच्ची हंसती है
छोटी बच्ची
हॅसती है
खिलखिलाकर ...।
नाज नखरों में
पलती
छोटी बच्ची डरती नहीं
हंसती है
बस हंसती रहती है।
घर के सभी छोटे बच्चे
डरते हैं उसके गुस्से से
हंसते-खिलखिलाते हैं
उसकी हंसी से ।
छोटी बच्ची
जब बड़ी हो जाएगी
उसकी बच्ची
जब बड़ी हो जाएगी
उसकी हंसी
उसकी बातें
कोई चुरा तो नहीं लेगा
सहम पड़ता हूं सोचकर
छोटी बच्ची हंसती है
खिलखिलाकर ...।
-: :-
युवा स्त्री की हंसी
बंद खिड़की के पीछे से
आयी युवा स्त्री के
हंसने की तेज आवाज ।
इतनी रात-
कितनी जोरों से वह हंसी
चलते-चलते ठिठक गया मैं
उठ गया एक शांत कुत्ता
हड़बड़ाकर ...।
उसकी अकेली हंसी
हंसते समय-
जाने कैसी दिखती होगी
जाने क्या सोचकर
हंसी इतनी जोर से।
न जाने कौन सी खुशी होगी
कि हंसते समय वह डरी नहीं होगी
शर्मायी नहीं होगी कितने दिनों बाद -
इतनी जोर से वह हंसी होगी।
No comments:
Post a Comment