संकलन के कविगण :- अजय कुमार शुक्ल, अनवर सुहैल, सुश्री अन्ना माधुरी तिर्की, आनंदी सहाय शुक्ल, (स्व.) श्रीमती आशा दुबे, श्रीमती इला मुखोपाध्याय, डॉ. श्रीमती इंदिरा मिश्र, ईश्वर शरण पाण्डेय, उमेश अग्रवाल, एकांत श्रीवास्तव, ओम भारती, कमलेश्वर साहू, कृष्णश कुमार भट्ट पथिक', डॉ . श्रीमती कावेरी दाभड़कर, कुमेश्वर कुमार, केशव प्रसाद दिव्य, गजेंद्र तिवारी, गणेश सोनी प्रतीक’, श्रीमती गंगोत्री मिश्रा, गेंद लाल शुक्ल, गोविंद पाल, घनश्याम त्रिपाठी, चेतन आर्य, जयंत कुमार थोरात, जितेंद्र सिंह सोड़ी, जीवन यदु, जीवेश प्रभाकर, जया जादवानी, दिनेश गौतम, दीप दुर्गवी, देवधर महंत, देवांशु पाल, नमीता डागा, नरेन्द्र श्रीवास्तव, नंद कुमार कंसारी, नासिर अहमद सिकंदर, निधीश त्यागी, निर्मल आनंद, निशा भोंसले, नीरज मनजीत, पद्यनाभ गौतम, प्रभा सरस, प्रतिभा गुर्जर, प्रभाकर चौबे, प्रभात त्रिपाठी, बसंत त्रिपाठी, डॉ . बल्देव साव, बद्री प्रसाद पुरोहित, बुद्धि लाल पाल, भगत सिंह सोनी, भास्कर चौधुरी, भैय्या लाल नागवंशी, मनीषा दिव्य भारद्वाज, महावीर अग्रवाल, मंगला देवरस, मन्दाकिनी श्रीवास्तव, मांझी अनंत, माताचरण मिश्र, मूलचंद तिवारी, योगेंद्र राठौर, रमेश अनुपम, रजत कृष्ण्, रमेश शर्मा, रंजीत भट्टाचार्य, राम गोपाल शुक्ल, राजेश कुमार सिंह, राहुल कुमार सिंह, रीना अधिकारी, ललित सुरजन, लक्ष्मी नारायण ‘‘पयोधि’’, वर्षा रावल, डॉ . वंदना केंगरानी, विक्रम कुमार सोनी, विजय सिंह, विजय राठौर, विनोद वर्मा, विद्या गुप्ता, शरद कोकास, शैलेंद्र बुढ़लाकोटी, शिव सिंह भदोरिया, श्रीमती शुक्ला चौधुरी, डॉ . श्रीमती सरिता दोशी, सतीश जायसवाल, डॉ . संजय अलंग, संजय शाम, संजीव बख्शी, संजीव खुदशाह, श्रीमती स्नेह मिश्र, सुश्री साधिका नाथन, सीता राम नामदेव, सीमा सोनी, सुरेश चंद्र श्रीवास्तव, डॉ . सुरेश तिवारी, सूरज प्रकाश राठौर, श्रीराम साहू अकेला’, हर किशोर दास, हरिश्चंद्र वाद्यकार, हरीश वाढेर, डॉ . हेमचंद्र पाण्डेय, त्रिजुगी कौशिक, डॉ . त्रिभुवन पाण्डेय, त्रिलोक चंद महावर, मंगत रविन्द्र

संस्‍कृति विभाग, छत्‍तीसगढ़ शासन के सहयोग से वैभव प्रकाशन, रायपुर द्वारा प्रकाशित

6 comments:

शरद कोकास said...

संजीव , बहुत बहुत धन्यवाद । सतीश जी का यह प्रयास अद्भुत है । हम सभी को उनके इस प्रयास में सहभागी होना ज़रूरी है ।

Rahul Singh said...

सतीश जायसवाल जी का सम्‍पर्क वृहस्‍पति बाजार है न कि शुक्रवारी बाजार.

DN Sharma said...

Satishjee ne sachmuch hi chhattisgarh ki rachnatmakta ko samne lane ka adhbhut prayas kiya hai. Unhe bahut-bahut badhai!!!!
Nami kaviyo ke sath sath pahchan talashte kaviyon ko aik sath sanklit kar aik mahatvpurn sangrah pathko ke samne prastut hua hai.

Anil Karmele said...

बहुत बधाई
सभी मित्रों को एक जगह पढ़ कर अच्छा लगेगा.

Vidur said...

स्तुत्य प्रयास, सतीश जी ही कर सकते थे.

Vidur said...

स्तुत्य प्रयास, सतीश जी ही कर सकते थे.

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